चर्चित कृतियां
रानी नागफनी का असफल पाँचवाँ प्रेम,
हरिशंकर परसाई का रोचक व्यंग्य
आभार: राजकमल प्रकाशन
…बड़ी शान्ति से उसने करेलामुखी से कहा, “सखि, तू आत्महत्या के प्रकारों की खोज़-बीन करके यह बता कि किस प्रकार आत्महत्या करना मेरे कुल की प्रतिष्ठा के अनुकूल होगा। सारा प्रबन्ध भी तुझे ही करना करेलामुखी बहुत दुखी थी। वह एक आह के साथ उठी और प्रबन्ध करने चली गयी।
मेरे भूतपूर्व प्रेमियों,
मैं तुम लोगों के कारण जान दे रही हूँ। यदि तुम लोगों में तनिक भी राजभक्ति होती, तो तुममें से कोई एक प्राण देकर मुझे बचा सकता था। पर तुम सब कायर हो। न जाने इस देश के युवकों को क्या हो गया है? एक वह ज़माना था कि एक राजकुमारी के लिए सैकड़ों युवक प्राण देने को तैयार रहते थे और अब मुझे एक मरने वाले का टोटा पड़ रहा है। यह देश कहाँ जा रहा है! इस देश का कितना पतन हो गया! मेरे पिता के पास इतना धन है, ऐश्वर्य है। मैं इतने बड़े बाप की बेटी हूँ। मैं एक छोटी-सी चीज़ चाहती थी-एक आदमी की जान और तुम लोगों की जान इतनी महँगी नहीं है। अगर तुममें से कोई आत्महत्या कर लेता तो मैं अपना प्रेम सफ़ल समझती। आत्महत्या नहीं कर सकते थे तो शादी कर सकते थे। तुमसे कुछ नहीं हुआ।
मैं तो जा रही हूँ पर मैं अपनी बहिनों को सावधान करती हैं कि तक कोई पुरुष आत्महत्या या विवाह करने का वादा न करे, उससे प्रेम न करें।
दः नागफनी देवी।